File Copyright Online - File mutual Divorce in Delhi - Online Legal Advice - Lawyers in India

कोविड 19 और मानसिक स्वास्थ्य

(१) प्रस्तावना:
कोविड 19 महामारी एक ऐसे समय पर आई है जब कोई भी ऐसी परिस्थिति लिए तैयार नहीं था। समूचे विश्व के पास महामारी के अनुभव की कमी थी। स्पेनिश फ्लू जैसी महामारियों को गए सौ साल हो चुके थे। एच–वन एन–वन, जीका वायरस आदि महामारियां आई जरूर थीं मगर उनका आयाम इतना विशाल नहीं था।

नतीजतन भारत समेत कई देशों ने तालाबंदी जैसे विकल्प को चुना। भारत के लिए तो इसकी जरूरत भी थी क्योंकि एक तो भारत का जनसंख्या घनत्व दूसरों से ज्यादा था दूसरा यहां पर स्वास्थ्य व्यवस्था बेहद कमजोर थी। ऐसे में स्वास्थ्य ढांचे को दबाव मुक्त रखने के लिए तालाबंदी बेहद जरूरी थी।

क्वारेंटाइन, होम आइसोलेशन आदि तरीके भी अपनाए गए जिनका पूर्व में किसी के पास अनुभव नहीं था। इसका नतीजा यह हुआ की सारे काम घरों से होने लगे। बच्चों की पढ़ाई, ऑफिस, खरीददारी, आदि सभी काम घरों से संचालित होने लगे। लोग घर से बाहर निकल नहीं सकते थे।

ऐसे हाल में लोगों में मोटापा, पेट की समस्याएं, और नेत्रदोष जैसी बीमारियां बढ़ने लगीं। एक ही जगह रहने का लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा जिसके कारण कई लोग तनावग्रस्त होने लगे। इसी तनाव के कारण घरेलू हिंसा, आत्महत्या, पागलपन, अनिद्रा, सर दर्द जैसी कई बीमारियां सामने आई हैं। आज हम यह कह सकते हैं कि कोविड 19 ने जितना लोगों का शारीरिक नुकसान किया है उतना ही उनके मानसिक स्वास्थ्य को।

(२) मानसिक स्वास्थ्य की महती आवश्यकता:
आज के इस भागदौड़ भरे जीवन में मानसिक स्वास्थ्य बेहद जरूरी है। स्वस्थ मस्तिष्क शांत चित्त का मूल है। मनुष्य जितना शांत होता है उतना ही बेहतर ढंग से अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर पता है। मानसिक तौर पर स्वस्थ व्यक्ति अच्छी नींद लेता है। समय पर सोता है– समय पर उठता है।

जल्दी गुस्सा नहीं करता और भावनाओं पर संयम रखता है जिससे उसका ध्यान केंद्रित रहता है। महात्मा बुद्ध ने कहा है की स्वास्थ्य ही सबसे बड़ी संपत्ति है और हर व्यक्ति अपना स्वास्थ्य खुद ही बनाता है। मानसिक स्वास्थ्य न होने पर शारीरिक बल का कोई महत्व नहीं रह जाता। गाड़ी में ईंधन है, वो चलने के लिए भी तैयार खड़ी है मगर जब ड्राइवर ही नहीं है तो वह आगे कैसे बढ़ेगी? हमारा मस्तिष्क ही हमारा ड्राइवर है।

(३) कोविड 19 के दौरान मानसिक स्वास्थ्य को क्षति:
इस महामारी के दौरान लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को अपूर्णीय क्षति पहुंची है। लोगों में तनाव, अनिद्रा, गुस्सा, हीनभावना, दुःख, आदि बुरे लक्षण दिखने लगे हैं। बच्चों की भी शारीरिक गतिविधियां बंद हैं और वे ऑनलाइन गेम्स खेल कर हिंसक हो रहे हैं। इस महामारी के दौरान लोगों को मानसिक क्षति कई कारणों से पहुंची है।

कोविड 19 ने लोगों को प्रकृति से दूर कर दिया। वे अपने घरों में बंद थे जिसके कारण उनका दोस्तों, रिश्तेदारों से मिलना संभव नहीं था। वे फोन पर उनसे जुड़े जरूर थे मगर वहां ‘व्यक्तिगत स्पर्श’ प्राप्त नहीं हो सकता था। सबसे बड़ी मानसिक पीड़ा यह थी कि इस बीमारी का कोई अंत नहीं दिख रहा था।

लोगों को अपने भविष्य की चिंता थी। कोई नहीं जानता था कि आखिर उन्हें कितने दिन और घरों में रहना पड़ेगा। जिन्होंने अपना रोजगार खोया उनके लिए तो ये दुख और भी ज्यादा बड़ा था। कई लोगों ने इस बीमारी में अपनों को को दिया था। उनके इलाज में बचत की हुई पूंजी लगा दी थी। अब उनके पास पैसे नहीं थे। लोगों को उनका भविष्य अनिश्चितता के बादलों के बीच धुंधला सा लग रहा था।

लोगों के पास मनोरंजन के सीमित विकल्प थे जिससे वक्त काटना मुश्किल हो गया था। घरों की दीवारें जेल जैसी लगने लगी थीं। ऐसे में घरेलू झगड़े होना स्वाभाविक था। सभी तनाव में थे जिसके कारण कलह होने लगी। इस समस्या ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को और ज्यादा खराब किया। बच्चों की बात करें तो उनकी पढ़ाई बंद थी। स्क्रीन टाइम बढ़ने के कारण ऑनलाइन क्लास में उनके लिए स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल होता जा रहा था।

ऐसे में ध्यान भटकना स्वभाविक था। एक विकल्प के तौर पर बच्चे ऑनलाइन गेम्स की ओर जाने लगे। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और उनमें हिंसक प्रवृत्ति का उदय हुआ। लोग अपने बच्चों के भविष्य के लिए भी चिंतित थे। बढ़ती स्वास्थ समस्याएं, पेट की समस्याएं, और बढ़ता वजन भी लोगों में गंभीर चिंता का विषय था। यही चिंता उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रही थी।

(४) मानसिक स्वास्थ्य हेतु जरूरी कदम:
मानसिक स्वास्थ्य की देखरेख बहुत जरूरी होती है। समय रहते समस्या का पता लगना कई परेशानियों से बचाता है। कुछ चीजों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। नींद की कमी तनाव का पहला लक्षण हो सकता है। नींद की प्रक्रिया का सही से न होना, नींद टूटना तनाव के लक्षण हैं।

इसके साथ घबराहट, अशांति, गुस्सा, निराशा, अत्यधिक चिंतित रहना, भूख का न लगना, लोगों से मिलने का मन न करना, आदि भी तनाव के संकेत होते हैं। समय रहते हमें अपने स्वभाव में परिवर्तन की जांच करनी चाहिए और कुछ भी गलत लगने पर सतर्क होने चाहिए। इस कोविड 19 के दौर में सभी ओर अनिश्चितता व्याप्त है तब मानसिक स्वास्थ्य को बरकरार रखना बहुत जरूरी है। हम सभी को अपने मन को प्रसन्न रखना चाहिए। खानपान का विशेष ध्यान देना चाहिए और शरीर में पानी की कमी नहीं होने देनी चाहिए। रात को जल्दी खाना खाने से नींद बहुत अच्छी आती है।

अच्छी नींद लेने के लिए रात को सोने से दो घंटे पहले ही मोबाइल, लैपटॉप, आदि को बंद कर देना चाहिए।  घर से बाहर नहीं निकल पा रहे तो घर पर ही योग-प्राणायाम और हल्की कसरत करनी चाहिए। जल्दी सोने और जल्दी उठने की आदत डालनी चाहिए। हमें अपने भरोसेमंद लोगों में अपनी भावनाएं व्यक्त कर देनी चाहिए।

अपने परिवार, दोस्तों, प्रेमी-प्रेमिका, माता-पिता, आदि से अपने मन के भाव और अपना दुख साझा करने मन हल्का हो जाता है। हमारे जीवन में सकारात्मकता बहुत जरूरी है। किसी भी परिस्थिति में मन में निराशा का भाव नहीं लाना चाहिए। हमें यह याद रखना चाहिए की संसार में अगर दुख और विपदा है, तो सुख और समृद्धि भी है। जैसे रात के बाद दिन का आना अटल है वैसे ही विपदा के बाद समृद्धि भी आनी अवश्यंभावी है।

(५) उपसंहार:
संसार में सुख और दुख, अच्छाई और बुराई, विपदा और समृद्धि सभी एक-साथ चलते रहते हैं और प्रकृति बड़ी खूबसूरती के साथ दोनो में बराबर संतुलन बनाए रखती है। कोविड 19 की आपदा अनिश्चितकाल तक नहीं टिकने वाली है। भारत समेत कई देश टीका बनाने में कामयाब हुए हैं। वह दिन दूर नही है जब दुनिया इस समय से उबर जायेगी।

मौजूदा हालत में हमें खुद को मानसिक मजबूती देनी होगी। मन के जीते जीत है! विपदा सभी को नई शुरुआत का अवसर देती है। यही वो समय होता है जहां से पुनर्निर्माण होता है। अतीत में कई ऐसे अवसर आए हैं जब मनुष्य ने आपदा से लड़कर उसपर ना सिर्फ विजय प्राप्त की बल्कि वहां से उसने एक नई सभ्यता की नींव रखी।

कोविड 19 ने जीवनचर्या बदली जरूर है मगर उससे हमारे स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े इसलिए हमे सतर्क होना होगा। अगर हम अपनी दिनचर्या में थोड़े बदलाव लाएं तो वह दिन दूर नही जब हम एक नए युग में अलग अनुभव के साथ कदम रख रहे होंगे। इसी परिस्थिति में उम्मीद बांधने के लिए मैने लिखा है,

माना की है ये दौर मुश्किलों का,
मगर जिंदगी अब भी हाथों में है।
जमाने का भी बन चुका है तमाशा,
शुक्र है, जिंदगी अब भी हाथों में है।।

Law Article in India

Ask A Lawyers

You May Like

Legal Question & Answers



Lawyers in India - Search By City

Copyright Filing
Online Copyright Registration


LawArticles

How To File For Mutual Divorce In Delhi

Titile

How To File For Mutual Divorce In Delhi Mutual Consent Divorce is the Simplest Way to Obtain a D...

Increased Age For Girls Marriage

Titile

It is hoped that the Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021, which intends to inc...

Facade of Social Media

Titile

One may very easily get absorbed in the lives of others as one scrolls through a Facebook news ...

Section 482 CrPc - Quashing Of FIR: Guid...

Titile

The Inherent power under Section 482 in The Code Of Criminal Procedure, 1973 (37th Chapter of t...

The Uniform Civil Code (UCC) in India: A...

Titile

The Uniform Civil Code (UCC) is a concept that proposes the unification of personal laws across...

Role Of Artificial Intelligence In Legal...

Titile

Artificial intelligence (AI) is revolutionizing various sectors of the economy, and the legal i...

Lawyers Registration
Lawyers Membership - Get Clients Online


File caveat In Supreme Court Instantly