धारा 9 हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 वैवाहिक अधिकारों की बहाली कैसे करे

हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 9 खासतौर पर वैवाहिक अधिकारों की बहाली से संबंधित है। यह धारा एक विवाहित व्यक्ति को अपने पति या पत्नी की अनुपस्थिति में अपनी पत्नी या पति को पुनः प्राप्त करने या उसके अधिकारों की बहाली का अधिकार देती है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

धारा 9: पति या पत्नी की अनुपस्थिति में प्रदत्त अधिकार
धारा का उद्देश्य:

धारा 9 का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि किसी पति या पत्नी द्वारा अपने साथी को छोड़ दिया गया है या वह किसी कारणवश अपने साथी से अलग हो गई है, तो उसे पुनः प्राप्त करने का अधिकार है। यह अधिकार यह दर्शाता है कि विवाह एक स्थायी संबंध है और इसमें किसी भी एक पार्टी को अस्वीकृत करना सही नहीं है।
अधिकार की बहाली:

यदि कोई पति या पत्नी अपने साथी को छोड़ देता है या उसे अनैतिक रूप से अपने जीवनसाथी से अलग करता है, तो पीड़ित पक्ष इस धारा के तहत कोर्ट में अर्जी दे सकता है। अदालत इस मामले की जांच के बाद वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए निर्णय लेगी।
विवाह का स्थायित्व:

यह सुनिश्चित करने के लिए कि विवाह को केवल अदालती प्रक्रिया द्वारा समाप्त किया जा सके, यह धारा विवाह के स्थायित्व को भी मजबूत करती है।
वैवाहिक अधिकारों की बहाली की प्रक्रिया:
अर्जी दाखिल करना:

प्रभावित व्यक्ति को अपने स्थानीय परिवार न्यायालय में एक आवेदन या अर्जी दाखिल करनी होगी। इसमें उन्हें अपने साक्ष्य और तथ्यों को संलग्न करना होगा जिससे यह साबित हो सके कि उनके साथी ने अनधिकृत रूप से उन्हें छोड़ दिया है।
सुनवाई:

अदालत इस मामले की सुनवाई करेगी, जिसमें पति या पत्नी को भी आमंत्रित किया जाएगा। सुनवाई के दौरान, दोनों पक्षों को अपने-अपने तर्क और साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा।
अदालत का निर्णय:

अदालत सभी साक्ष्यों और तर्कों को सुनने के बाद निर्णय करेगी। यदि अदालत को लगता है कि संबंधों को बहाल करने के लिए उचित है, तो वह आदेश दे सकती है कि पति या पत्नी को पुनः लौटना चाहिए।
इतर विकल्प:

यदि विवाह को बहाल नहीं किया जा सकता, तो कानून के तहत अन्य उपाय जैसे कि तलाक को भी अर्जी में शामिल किया जा सकता है।

निष्कर्ष:
यह धारा विवाह को एक स्थायी और महत्वपूर्ण संबंध बनाए रखने में सहायक है। हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 9 व्यक्तिगत संबंधों की गरिमा और वैवाहिक अधिकारों की रक्षा करती है। यदि किसी को अपने वैवाहिक अधिकारों की बहाली की आवश्यकता है, तो कानूनी सलाह लेना और उचित प्रक्रिया का पालन करना महत्वपूर्ण है।

Share this Article

You May Like

Comments

Submit Your Article



Copyright Filing
Online Copyright Registration


Popular Articles

How To File For Mutual Divorce In Delhi

Titile

How To File For Mutual Divorce In Delhi Mutual Consent Divorce is the Simplest Way to Obtain a D...

Increased Age For Girls Marriage

Titile

It is hoped that the Prohibition of Child Marriage (Amendment) Bill, 2021, which intends to inc...

Facade of Social Media

Titile

One may very easily get absorbed in the lives of others as one scrolls through a Facebook news ...

Section 482 CrPc - Quashing Of FIR: Guid...

Titile

The Inherent power under Section 482 in The Code Of Criminal Procedure, 1973 (37th Chapter of t...

Lawyers Registration
Lawyers Membership - Get Clients Online


File caveat In Supreme Court Instantly