Re Noise Pollution Case 2005: In Hindi
Re Noise Pollution Case 2005
Fact:
इस केस में एक 13 साल की बच्ची का रेप हुआ, वह मदद के लिए चिल्लाती रही मगर पड़ोस में एक उत्सव में लाउड स्पीकर इतनी तेज बज रहे थे की किसी को उसकी आवाज़ सुनाई नहीं दी उसको मदद नहीं मिल पति और उस घटना दिन बाद उस बच्ची ने आत्महत्या कर ली यह खबर पढ़कर अनिल मित्तल जो पेशे से इंजीनियर थे उन्होंने ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की ऐसे ही लाउड स्पीकर का अनियंत्रित और अप्रबंधित उपयोग से होने वाली कई घटनाओ को कोर्ट के सामने रखा। इस याचिका में मुख्यतः यह प्रार्थना की गयी कोकि ध्वनि प्रदूषण के लिए जो भी मौजूदा कानून है उन्हें सही तरीके से लागू किया जाये।
Issues:
Judgment:
इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा की ध्वनि प्रदूषण करते है वे अनुच्छेद 19 का सहारा लेने की कोशिश करते है लेकिन वो ये भूल जाते है यह हमारी ड्यूटी है की हम अपने राइट का उतना ही इस्तेमाल करे की जितना दूशरे के राइट का उलंघन न हो। हमारे संविधान में अनुछेद 21 में जीवन के अधिकार की बात की गयी है जिसमे स्वस्थ और शांतिपूर्ण वातावरण में रहने के अधिकार की बात की गयी है ये तभी हो सकता है जब आस पास का वातावरण प्रदूषण मुक्त होता फिर चाहे वो ध्वनि प्रदूषण ही क्यों न हो।
अनुच्छेद 19 किसी को भी यह अधिकार नहीं देता की वह किसी को भी ऐसी ध्वनि जोर जबरदसती सुनाये जिससे उसे नुक्सान हो। अगर अनुच्छेद19 बोलने का अधिकार देता है तो वह सुनंने का और सुनने से मन करने का अधिकार भी देता है।
माननिये सुप्रीम कोर्ट ने बहुत से प्रमुख दिशानिर्देश जारी किये जिसमे प्रमुख है:
a. लाउड स्पीकर का उपयोग बिना किसी पदावनत प्राधिकार के लिखित अनुमति के बिना नहीं किया जायेगा।
b. रात में ध्वनि प्रदूषक यन्त्रो का उपयोग किसी सार्वजानिक स्थान में नहीं किया जायेगा बंद परिसर जैसे ऑडिटोरियम छोड़कर।
c. किसी भी धार्मिक समारोह में राज्य सरकार या जिला प्राधिकारी की अनुमति के से रात के 10 से 12 तक ध्वनि प्रदूषक यंत्रो का उपयोग है वो भी केवल कैलेंडर वर्ष 15 दिन तक।
d. सार्वजानिक स्थान में जो जो कोई अनुमत समय में ध्वनि प्रदूषक यंत्रो का उपयोग करता है तो ध्वनि
10 DB > परिवेश शोर मानक(ambient noise standard)
OR
75 DB
जो भी कम हो, कानूनी अनुमत है।
e. यदि कोई निजी मालिकअपने निजी स्थान में ध्वनि प्रदूषण कर रहा है तो ध्वनि 5 DB > परिवेश शोर मानक(ambient noise standard) से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
इन नियमो सख्ती पालन करने का आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया ।
Written By: Jyoti Prajapati - Pursuing Law (Ll.B. 2nd Year) From Dr. Harisingh Gaor Vishwavidhyala
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